पर्यावरण दिवस : लॉकडाउन में कचरा बना मुसीबत, इकट्ठा करना, छांटने-बीनने और रिसाइकलिंग 25% तक प्रभावित
NDTV India
कोरोना काल में अस्पतालों और कोविड केयर केंद्रों से निकल रहा मेडिकल कचरा भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, क्योंकि ज्यादातर अस्पतालों के पास बायोमेडिकल वेस्ट के निपटारे की व्यवस्था ही नहीं है. अग्रणी फूड प्रोसेसिंग एवं पैकेजिंग समाधान कंपनी, टेट्रापैक के सस्टेनेबिलिटी डायरेक्टर (एशिया पैसेफिक) जयदीप गोखले का कहना है कि कचरा इकट्ठा करने में असंगठित क्षेत्र के कामगार सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण इनमें से काफी कुछ पलायन कर गए. इलेक्ट्रानिक, प्लास्टिक या टेट्रा पैक बीनने-छांटने का काम भी मुश्किल हुआ है. रिसाइकलिंग में श्रमिकों की भी कमी है. शहर के अंदर या बाहर कूड़े के परिवहन या उसको रिसाइकलर तक पहुंचाने में भी मुश्किलें हैं. इस काम को आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं किया गया है.
Environment Day India: भारत दुनिया में कचरा पैदा करने वाला सबसे बड़ा देश है, जहां हर साल करीब 30 करोड़ टन सॉलिड वेस्ट ( Solid Waste) पैदा हो रहा है, लेकिन हम इसका 60 फीसदी ही निस्तारित कर पाते हैं. लेकिन कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण कचरे को इकट्ठा करने, उसे छांटने-बीनने और रिसाइकल (Waste Recycling) करने की व्यवस्था भी चरमरा गई है. पिछले साल लॉकडाउन के दौरान कचरा निस्तारण में 25 फीसदी कमी आई थी और इस साल भी लॉकडाउन के दूसरे चरण में 15-20 फीसदी काम प्रभावित हो चुका है. फिलहाल नगर निकाय और कुछ एजेंसियां ही सुचारू रूप से काम कर पा रही हैं.More Related News