'पद्मश्री' तुलसी गौड़ा के जज्बे की कहानी: अबतक 30 हजार से ज्यादा पौधे लगाए, 6 दशकों से पर्यावरण के संरक्षण में जुटीं
ABP News
Tulsi Gowda: तुलसी गौड़ा अपनी जिंदगी में कभी स्कूल नहीं गईं. छोटी उम्र में वो अपनी मां के साथ नर्सरी में काम करती थीं. वहीं से उनके अंदर पर्यावरण के लिए काम करने का जज्बा आ गया.
Who is Tulsi Gowda: सोमवार की सुबह राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में पद्म सम्मान दिए गए. इस हॉल में जैसे ही तुलसी गौड़ा का नाम गूंजा, हर किसी की नज़र उनपर टिक गईं. तुलसी गौड़ा को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवार्ड से नवाज़ा. तुलसी गौड़ा जब दरबार हॉल में दाखिल हुईं तो उनकी सादगी ने सबका मन मोह लिया. तुलसी गौड़ा ने कपड़े के नाम पर साधारण सी चादर जैसे कपड़े पहने थे. गले में आदिवासी जीवनशैली के कुछ मामूली सी मालाएं थी. वह बिना चप्पल के यानि नंगे पैर पद्मश्री सम्मान लेने आईं. जानिए आखिर तुलसी गौड़ा कौन हैं.
तुलसी गौड़ा को कहा जाता है इनसाइक्लोपीडिया ऑफ फॉरेस्ट
More Related News