पत्नी का खर्च उठाना, वित्तीय सहायता मुहैया कराना पति का कर्तव्य: अदालत
NDTV India
पत्रिका कवर यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है कि प्रतिवादी खुद का खर्च उठा सकती है.’’ पुरुष और महिला की शादी जून 1985 में हुई थी और विवाह के बाद उनके दो बेटे और एक बेटी का जन्म हुआ.
दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने कहा है कि पति का यह कर्तव्य और दायित्व है कि वह अपनी पत्नी का खर्च उठाये और उसे एवं अपने बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान करे. अदालत (Court) ने कहा कि पति अपनी पत्नी और बच्चों की देखभल की जिम्मेदारी उस स्थिति के अलावा बच नहीं सकता जिसकी जो कानूनों में निहित कानूनी आधार की अनुमति देते हों. न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद (Justice Subramaniam Prasad) ने एक निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें पुरुष को उससे अलग रह रही पत्नी को 17,000 रुपये की राशि हर महीने देने का निर्देश दिया गया था. उन्होंने कहा कि वह आदेश में किसी भी तरह की प्रतिकूलता का उल्लेख नहीं कर पाया है. अदालत ने कहा कि निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाला व्यक्ति, एक सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) है और अपनी पत्नी को 17,000 रुपये मासिक का भुगतान करने के लिए अच्छी कमाई कर रहा है, जिसके पास आय का कोई स्थाई स्रोत नहीं है.More Related News