नीतीश के बारे में राहुल गांधी ऐसी बातें क्यों कह गए जो तेजस्वी भी हजम न कर पाएं?
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नीतीश कुमार को लालू यादव का परिवार काफी पहले 'पलटू राम' कहता रहा है, लेकिन तेजस्वी यादव इस बार चुप हैं. हां, बिहार पहुंचे राहुल गांधी दबाव आकर उनके में यू-टर्न लेने की बात जरूर कर रहे हैं - बाकी सब तो ठीक है, लेकिन जातीय जनगणना के मुद्दे पर राहुल गांधी का दावा हजम करना मुश्किल हो रहा है.
नीतीश कुमार को लेकर तेजस्वी यादव ही नहीं, बीजेपी भी बेहद सतर्क है. ये सतर्कता नीतीश कुमार की छवि से ज्यादा इस बात को लेकर भी है कि कहीं जेडीयू कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश न चला जाये. तेजस्वी यादव भी बस उतना ही बोल रहे हैं, जितना जरूरी है. ज्यादा सवाल-जवाब होने पर 'व्यक्तिगत हमले नहीं करेंगे' बोल कर टाल जाते हैं.
बीजेपी की तरफ से भी नेताओं को पूरी तरह संयम बरतने की सलाह दी गई है. सिर्फ नीतीश कुमार की कौन कहे, बीजेपी ने अपने नेताओं को जेडीयू नेताओं से शालीनता से पेश आने की हिदायत दी है. सुनने में आया है कि जेडीयू नेताओं से उनके दफ्तर जाकर मिलने और बात करने को भी कहा जा रहा है. ऐसा कुछ भी करने से बचने की सलाह दी गई है जिससे जेडीयू नेताओं और कार्यकर्ताओं के सम्मान को ठेस पहुंच सकता है.
हैरानी तो ये सुनकर होती है कि बीजेपी नेताओं के लिए 'जय श्रीराम' के नारे को लेकर भी दिशानिर्देश जारी किये गये हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, जेडीयू से रिश्ता मजबूत बनाये रखने के मकसद से बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं से बिहार में जय श्रीराम की जगह 'सियावर रामचंद्र की जय' बोलने को कह रही है - क्या बीजेपी को वोट ट्रांसफर की चिंता है या कुछ और ही बात है?
और उससे भी ज्यादा हैरानी तो राहुल गांधी का भाषण सुन कर हो रही है. नीतीश कुमार के दबाव में आ जाने और यू-टर्न लेने जैसी बातें तो ठीक भी हैं. हो सकता है, नीतीश कुमार के कुछ समर्थकों को भी ये सब सुनने में कोई दिक्कत न होती हो.
भले ही ये राजनीतिक बयान हो, लेकिन राहुल गांधी का ये कहना कि नीतीश कुमार जातीय जनगणना के खिलाफ थे, गले के नीचे नहीं उतर रहा है. ऐसा बहुतों के साथ होगा. बिहार के कांग्रेस कार्यकर्ता भी ये सुन कर हैरान ही हुए होंगे, भले ही वे मजबूरी में चुप रह गये हों.
नीतीश कुमार के लेटेस्ट ऐक्ट पर राहुल गांधी का रिएक्शन
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