द्रविड़ बनाम सनातन! क्या है संघर्ष का इतिहास, जानिए कैसे बना वर्तमान का राजनीतिक मुद्दा?
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द्रविड़ और सनातन के संघर्ष के मूल में भेदभाव और छूआछूत रहा है. इसकी पृष्ठभूमि वैसे तो काफी पुरानी है, लेकिन जिस घटना ने इसे राजनीतिक और सामाजिक रूप से पहचान दिलाई वह आजादी से करीब 20 साल पहले की है, जिसकी जड़ें त्रावणकोर महाराज की सियासत से जुड़ी हुई हैं.
5 दिसंबर 2016 को तमिलनाडु की सीएम रहीं जे. जयललिता अपनी अंतिम यात्रा की ओर थीं. भारत के दक्षिणी राज्य की सबसे सशक्त महिला की अंत्येष्टि पर देश ही नहीं विदेशियों तक की निगाहें इस ओर थीं. अंत्येष्टि की प्रक्रिया शुरू हुई तो गमगीन आंखों में आंसुओं के अलावा प्रश्नवाचक चिह्न भी तैरने लगे. सवाल था कि हिंदू नाम वाली सीएम को आखिर दफनाया क्यों जा रहा है? दरअसल, जे. जयललिता की जब अंत्येष्टि हुई तो उन्हें दफनाया गया और फिर उनकी समाधि बना दी गई.
ठीक इसी तरह साल 2018 में जयललिता के सबसे बड़े राजनीतिक विरोधी रहे एम. करुणानिधि के निधन के बाद उनका भी दाह संस्कार नहीं किया गया, बल्कि उन्हें भी दफनाया गया था. आखिर क्यों?
इस क्यों का जवाब है जयललिता और करुणानिधि दोनों का ही द्रविड़ मूवमेंट से जुड़ा होना. द्रविड़ आंदोलन हिंदू धर्म की किसी ब्राह्मणवादी परंपरा और संस्कृति या रिवाज को नहीं मानता है. जे जयललिता एक द्रविड़ पार्टी की प्रमुख थीं, जिसकी नींव ब्राह्मणवाद के विरोध के लिए पड़ी थी. ब्राह्मणवाद के इस विरोध के प्रतीक के तौर पर द्रविड़ आंदोलन से जुड़े लोग दाह संस्कार के बजाय दफनाने की रीति अपनाते हैं.
द्रविड़ परंपरा का सनातन से है विरोध द्रविड़ आंदोलन की ये रीति यहां यह बताने के लिए काफी है कि सनातन परंपरा से उनका किस हद तक विरोध रहा है. आज के मौजूदा दौर में जब उदयनिधि स्टालिन ने ये बयान दिया है कि .‘हमें सनातन को भी मिटाना है...’ इसके बाद से राजनीतिक हलके में बड़ा बवाल खड़ा हो गया है और एक बार फिर द्रविड़ और सनातनियों का विरोध व संघर्ष उभर कर सामने आ गया है.
उदयनिधि के शब्दों में क्या है द्रविड़ मॉडल? उदयनिधि ने कहा कि, सनातन धर्म सामाजिक न्याय और समानता के खिलाफ है. कुछ चीजों का विरोध नहीं किया जा सकता, उन्हें खत्म ही कर देना चाहिए. हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते. हमें इसे मिटाना है. इसी तरह हमें सनातन को भी मिटाना है. सनातन नाम संस्कृत का है. अपने बयान के ही बीच, उदयनिधि ने सवाल किया कि सनातन क्या है? इसका जवाब खुद देते हुए उन्होंने कहा कि सनातन का अर्थ है कुछ भी बदला नहीं जाना चाहिए और सब कुछ स्थायी है. लेकिन द्रविड़ मॉडल बदलाव की मांग करता है और सभी की समानता की बात करता है.’
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