दिल्ली दंगों का एक सालः हर चार्जशीट में है FIR नंबर 59 का जिक्र, बनी UAPA का आधार
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दिल्ली दंगों से जुड़ी हर साजिश में एफआईआर नंबर 59 का जिक्र होता है. दंगे से जुड़े जितने भी खुलासे होते हैं, उनमें भी एफआईआर नंबर 59 का जिक्र है. इसी 59 नंबर की एफआईआर में में सीएए विरोध प्रदर्शन, जामिया, शाहीन बाग और उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों का जिक्र शामिल है.
दिल्ली दंगों का एक साल पूरा हो चुका है. उन दंगों को लेकर यूं तो अलग-अलग 755 एफआईआर दर्ज की गईं, लेकिन एक एफआईआर ऐसी है, जिसका जिक्र दंगों को लेकर दाखिल की गई हर चार्जशीट में बार-बार होता है. वो एफआईआर नंबर 59 है. यहां तक कि दिल्ली दंगों से जुड़ी हर साजिश में एफआईआर नंबर 59 का जिक्र होता है. दंगे से जुड़े जितने भी खुलासे होते हैं, उनमें भी एफआईआर नंबर 59 का जिक्र है. इसी 59 नंबर की एफआईआर में सीएए विरोध प्रदर्शन, जामिया, शाहीन बाग और उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों का जिक्र होता है.सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
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