दिल्ली दंगे के आरोपियों की ज़मानत रद्द करने से SC का इनकार, पर कहा- HC के इस फैसले के आधार पर देश में नहीं मांगी जा सकेगी राहत
ABP News
15 जून को दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और अनूप भंबानी की बेंच ने नताशा, देवांगना और आसिफ को जमानत दी थी. जजों ने कहा था कि पुलिस की तरफ से दर्ज एफआईआर सरकार के खिलाफ असहमति की आवाज़ को दबाने की कोशिश है. तीनों ने देश की सुरक्षा को खतरा नहीं पहुंचाया. उनके खिलाफ UAPA लगाना गलत है.
नई दिल्ली: दिल्ली दंगे के 3 आरोपियों को हाई कोर्ट से मिली ज़मानत रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. लेकिन साफ किया है कि हाई कोर्ट के इस आदेश के आधार पर देश भर में कहीं भी UAPA के मामलों में राहत नहीं मांगी जा सकेगी. जजों ने इस बात पर हैरानी जताई कि हाई कोर्ट ने बेल के मामले में 125 पन्ने का आदेश दिया. किसी ने UAPA की वैधता को चुनौती नहीं दी थी. फिर भी हाई कोर्ट ने कानून की व्याख्या की. उसकी संवैधानिकता पर सवाल उठा दिए. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के व्यापक बिंदुओं पर विस्तृत सुनवाई की ज़रूरत बताई है. जजों ने दिल्ली पुलिस की याचिका पर तीनों आरोपियों नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ तन्हा को नोटिस जारी किया. जवाब के लिए 4 हफ्ते का समय देते हुए कोर्ट ने कहा कि 19 जुलाई से शुरू हो रहे हफ्ते में मामले को सुनवाई के लिए लगाया जाएगा.More Related News