दमन दीव सीट से चुनाव लड़ सकती हैं प्रियंका, पिछले तीन चुनाव BJP जीती है, 87 हजार वोट पड़े थे
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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के दमन और दीव लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा है. 2009 चुनाव से ही इस सीट से बीजेपी जीत हासिल करती आ रही है. ऐसे में वह कौन से फैक्टर्स हैं जिनकी वजह से कांग्रेस को यहां जीत की उम्मीद नजर आ रही है?
केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव चर्चा में आ गया है. इसकी वजह है दमन और दीव कांग्रेस के अध्यक्ष केतन पटेल का एक बयान. केतन पटेल ने कहा है कि प्रियंका गांधी दमन दीव लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि इसे लेकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा भी हो चुकी है और सभी समीकरणों का ध्यान रखते हुए प्रियंका गांधी को इस सीट से उतारने के लिए चुनावी गणित भी सेट कर लिया गया है. राष्ट्रीय नेतृत्व ने इसे लेकर उनसे चर्चा भी की है.
प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की चर्चा शुरू हुई तो अब दमन और दीव लोकसभा सीट के चुनावी अतीत के पन्ने पलटे जाने लगे हैं तो साथ ही तलाशे जाने लगे हैं वह आधार भी, जिनकी बुनियाद पर कांग्रेस यह दांव खेल सकती है. साल 2004 के बाद से कांग्रेस यह सीट नहीं जीत सकी है. 2009 से ही इस सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जीत रही है. ऐसे में वह कौन से फैक्टर हैं जिनकी वजह से कांग्रेस को इस सीट पर जीत का सूखा खत्म होने की उम्मीद नजर आ रही है?
दमन और दीव लोकसभा सीट से बीजेपी के लालूभाई पटेल सांसद हैं. लालूभाई 2009 से ही लोकसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं. लगातार तीन चुनाव जीत चुके लालूभाई को बीजेपी ने इस बार भी दमन और दीव सीट से टिकट दे दिया है. तीन बार के सांसद लालूभाई जीत का चौका लगाने की कोशिश में हैं तो वहीं कांग्रेस यह उम्मीद है कि 15 साल लंबे कार्यकाल के एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर को भुनाकर इस सीट पर बीजेपी का विजय रथ रोका जा सकता है.
हार का कम अंतर
कांग्रेस 2004 के लोकसभा चुनाव में जब आखिरी बार दमन और दीव सीट जीती थी, तब जीत का अंतर महज 607 वोट रहा था. तब कांग्रेस के पटेल दहयाभाई वल्लभभाई चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 95 हजार 382 मतदाता थे जिनमें से 68 हजार 23 मतदाताओं ने वोट किया था. तब बीजेपी के लालूभाई पटेल को 24838 वोट के अंतर से जीत मिली थी लेकिन 2014 और 2019 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद जीत का अंतर 10 हजार वोट तक भी नहीं पहुंचा.
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