'तुगलकी लॉकडाउन लगाओ...प्रभु के गुण गाओ', मोदी सरकार की कोविड रणनीति पर राहुल का तंज
AajTak
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार की कोविड स्ट्रेटजी पर सवाल खड़े करते हुए ट्वीट किया है कि ''तुगलकी लॉकडाउन लगाओ, घंटी बजाओ, प्रभु के गुण गाओ''
देश में कोरोना के आंकड़े अब दो लाख प्रति दिन की दर से खतरनाक रफ्तार पर सवार हैं, लगातार दूसरे दिन कोरोना के दो लाख नए मामले सामने आए हैं. बीते चौबीस घंटे में 2.16 लाख मामले सामने आए हैं, देश में कोरोना वायरस के कारण होती भयावह स्थिति के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर लगातार हमला कर रहे हैं. राहुल गांधी ने केंद्र सरकार की कोविड स्ट्रेटजी पर सवाल खड़े करते हुए ट्वीट किया है कि ''तुगलकी लॉकडाउन लगाओ, घंटी बजाओ, प्रभु के गुण गाओ यही है सरकार की कोविड रणनीति'' इस ट्वीट को आप यहां भी देख सकते हैं. केंद्र सरकार की कोविड रणनीति- स्टेज 1- तुग़लक़ी लॉकडाउन लगाओ। स्टेज 2- घंटी बजाओ। स्टेज 3- प्रभु के गुण गाओ।सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
आज शाम की ताजा खबर (Aaj Ki Taza Khabar), 23 नवंबर 2024 की खबरें और समाचार: खबरों के लिहाज से शनिवार का दिन काफी अहम रहा है. महाराष्ट्र में नतीजे आने के बाद सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पर पर अपना दावा ठोका है. सीएम योगी ने यूपी उपचुनाव के नतीजों को पीएम मोदी के नेतृत्व की जीत बताया है.
हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.