ठाकरे, सोरेन, पवार, मुंडे, चव्हाण... इन 5 सियासी परिवारों में कौन मजबूत होगा और कौन कमजोर? नतीजे तय करेंगे भविष्य
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महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव के नतीजे सत्ता की दिशा निर्धारित करेंगे ही, सियासी परिवारों के भविष्य की सियासत का भी निर्धारण करेंगे. महाराष्ट्र से झारखंड तक पांच सियासी परिवारों में कौन मजबूत होगा और कौन कमजोर?
महाराष्ट्र विधानसभा की 288 और झारखंड विधानसभा की 81 सीटों के लिए मतगणना शुरू हो गई है. झारखंड में 13 नवंबर और 20 नवंबर को मतदान हुआ था जबकि महाराष्ट्र की जनता ने 20 नवंबर को उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद कर दी थी. महायुति बनाम महाविकास अघाड़ी (एमवीए) और इंडिया ब्लॉक बनाम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अधिक ये चुनाव महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे)-शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार)-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) के लिए असली-नकली की लड़ाई माने जा रहे हैं.
इन चुनावों में ना सिर्फ उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस की साख दांव पर है, बल्कि सूबे की सियासत के प्रभावशाली सियासी परिवारों की प्रतिष्ठा भी जनता की अदालत तय करेगी. झारखंड में भी कुछ ऐसी ही कहानी है. सूबे में आदिवासी अस्मिता से लेकर घुसपैठ और डेमोग्राफी चेंज तक, मुद्दों के टेस्ट के साथ ही ये जनादेश सोरेन परिवार की सियासी दिशा भी तय करने वाला भी होगा.
1- ठाकरे परिवार
ठाकरे परिवार महाराष्ट्र के सबसे प्रभावशाली सियासी परिवारों में शामिल रहा है. शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे के लिए पार्टी का नाम-निशान गंवाने के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव है. उद्धव ठाकरे के लिए यह चुनाव खुद को बाल ठाकरे की विरासत का असली वारिस साबित करने का मौका है तो वहीं एकनाथ शिंदे के लिए भी यह खुद को वैचारिक वारिस साबित करने का अवसर.
बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) भी चुनाव मैदान में है. इस चुनाव में ऐसा पहली बार है जब ठाकरे परिवार के दो सदस्य चुनाव मैदान में हैं. उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे वर्ली विधानसभा सीट से लगातार दूसरी बार विधानसभा पहुंचने की जुगत में जुटे हैं तो वहीं राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे भी मैदान में हैं. अमित ठाकरे माहिम विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं.
माहिम सीट पर बीजेपी ने सहयोगी शिवसेना (शिंदे) का उम्मीदवार होने के बावजूद अमित ठाकरे का समर्थन किया था. विधानसभा चुनाव में तीन सेनाएं हैं और तीन सेनाओं के बीच की जंग खुद को बाल ठाकरे की सियासी विरासत का असली वारिस साबित करने की लड़ाई भी मानी जा रही है. उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे और राज ठाकरे में से कौन मजबूत होगा और कौन कमजोर, यह जनादेश से तय होगा.
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