जनरल इंदरजीत सिंह गिल: जिन्होंने इंदिरा गांधी की मीटिंग छोड़ी और बॉस मानेकशॉ से ली टक्कर
BBC
1971 युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने पर विवेचना की ख़ास श्रृंखला की चौथी कड़ी में पढ़िए जनरल इंदर गिल की कहानी, जिन्होंने देश के लिए सेना प्रमुख सैम मानेकशॉ और यहाँ तक कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक से भिड़ने में कोई संकोच नहीं किया.
1971 की पूरी लड़ाई के दौरान ये ख़तरा हमेशा बना रहा कि कहीं चीन पाकिस्तान की तरफ़ से हस्तक्षेप कर भारत पर हमला न कर दे. इस परिस्थिति से निपटने के लिए ही जनरल मानेक शॉ ने 167, 5 और 123 माउंटेन ब्रिगेड को भूटान की सीमा पर लगा रखा था.
पूर्वी कमान के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ जनरल जैकब ने दिल्ली में सेना मुख्यालय में डायरेक्टर जनरल (मिलिट्री ऑपरेशन) जनरल इंदरजीत सिंह गिल को सूचित किया कि वो इन ब्रिगेडों को वहाँ से हटा कर बांग्लादेश की लड़ाई में लगा रहे हैं.
मानेकशॉ के विरोध के बावजूद इंदर इस प्रस्ताव के लिए राज़ी हो गए. जब पूर्वी कमान के प्रमुख जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने इसके बारे में जनरल मानेकशॉ को तुरंत सूचित कर दिया.
दो घंटे के अंदर मानेकशॉ का जवाब आया, ''मैंने किसी औरत से भी ज़्यादा तुम्हारा ध्यान रखा है. तुमसे किसने कहा कि इन ब्रिगेडों को उत्तरी सीमा से हटा लिया जाए? तुम उनको तुरंत वापस उसी जगह भेजोगे.''
ये सुनना था कि जनरल अरोड़ा के पैरों तले से ज़मीन खिसक गई. वो मानेकशॉ का संदेश हाथ में लिए जनरल जैकब के कमरे में घुसे.