घायल हुए पर मैदान नहीं छोड़ा कर्नल तारापोर ने
BBC
वो जवान जिसने कहा था, अगर मैं लड़ाई में मारा जाता हूँ तो मेरा अंतिम संस्कार यहीं युद्ध भूमि में किया जाए. कर्नल तारापोर को मरणोपरांत परमवीर चक्र दिया गया था.
फिलौरा जीतने के बाद सयालकोट की तरफ़ बढ़ते हुए जैसे ही पूना हॉर्स के टैंकों ने सीमा पार की, कमांडिंग आफ़िसर अदी तारापोर ने अपने नंबर 2 मेजर निरंजन सिंह चीमा को कोने में बुलाया.
चीमा समझे कि वो युद्ध की रणनीति के बारे में बात करेंगे.
लेकिन तारापोर ने कहा, ''अगर मैं लड़ाई में मारा जाता हूँ तो मेरा अंतिम संस्कार यहीं युद्ध भूमि में किया जाए. मेरी प्रेयर बुक मेरी माँ के पास भिजवा दी जाए और मेरी सोने की चेन मेरी पत्नी को दे दी जाए. मेरी अंगूठी मेरी बेटी और मेरा फ़ाउंटेन पेन मेरे बेटे ज़र्ज़ीस को दे दिया जाए. उससे कहा जाए कि वो भी मेरी तरह भारतीय सेना में जाए.''
पाँच दिन बाद लेफ़्टिनेंट कर्नल अदी तारापोर पाकिस्तानी टैंक के गोले का शिकार हो गए.