क्या बीआरडी ऑक्सीजन त्रासदी को लेकर डॉ. कफ़ील ख़ान को जानबूझकर निशाना बनाया गया
The Wire
डॉ. कफ़ील ख़ान की किताब ‘द गोरखपुर हॉस्पिटल ट्रेजडी: अ डॉक्टर्स मेमॉयर ऑफ अ डेडली मेडिकल क्राइसिस' अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के सच को दफ़न करने की कोशिश को बेपर्दा करती है और व्यवस्था द्वारा उसकी नाकामी को छुपाने की साज़िश को सामने लाती है.
बीआरडी मेडिकल कॉलेज की ऑक्सीजन त्रासदी एक अस्पताल में अचानक हुआ हादसा नहीं बल्कि अपने देश में सरकारी अस्पतालों को लापरवाही और संवेदनहीनता के साथ संचालित करने की व्यवस्था की परिणति थी.
यह घटना हमें यह भी बताती है कि सरकार ऐसे भयानक हादसों से कोई सीख लेने के बजाय सच्चाई को दबाने, असली दोषियों को बचाने और सच्चाई को सामने लाने की कोशिश करने वालों को दंडित करने का काम करती है.
बीआरडी मेडिकल कॉलेज का ऑक्सीजन हादसा और वहां बाल रोग विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर कार्य कर रहे डॉ. कफील खान का नाम एक दूसरे से ऐसे जुड़ गया है जिसे अलग करना नामुमकिन है. डॉ. कफील खान के साथ क्या हुआ, आज सभी जानते हैं लेकिन यह कैसे और क्यों हुआ, ऑक्सीजन हादसे के पीछे असली चेहरे कौन थे और उन्हें बचाने के लिए क्या-क्या किए गए, यह आज भी बहुत कम लोगों को पता है.
जो सच जानते हैं उन्होंने अपने मुंह सिल लिए और जो बहुत कम जानते हैं, वे सरकार द्वारा बहुत करीने से सेट किए गए एक नैरेटिव पर ही आज तक अपनी बहस और चर्चा को केंद्रित किए हुए हैं.