कृषि कानूनों के विरोध में ट्रैक्टर से संसद पहुंचे राहुल गांधी, कभी बैलगाड़ी से गए थे अटल बिहारी बाजपेयी
AajTak
केंद्र के तीन नए कृषि कानून (Farm Laws) के विरोध में आज यानी सोमवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ट्रैक्टर पर सवार होकर संसद (Parliament) पहुंचे. एक समय था जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी बैलगाड़ी पर सवार होकर संसद पहुंचे थे.
केंद्र के तीन नए कृषि कानून (Farm Laws) के विरोध में आज यानी सोमवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ट्रैक्टर पर सवार होकर संसद (Parliament) पहुंचे. किसानों के समर्थन में राहुल गांधी ने केंद्र सरकार तक आवाज पहुंचाने के लिए यह अनोखा तरीका अपनाया. पहले भी नेता अनोखे तरीके अपना चुके हैं. मसलन, अटल बिहारी वाजपेयी साल 1973 में इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ तेल की कीमतों के विरोध में बैलगाड़ी पर संसद पहुंचे थे.सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
आज शाम की ताजा खबर (Aaj Ki Taza Khabar), 23 नवंबर 2024 की खबरें और समाचार: खबरों के लिहाज से शनिवार का दिन काफी अहम रहा है. महाराष्ट्र में नतीजे आने के बाद सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पर पर अपना दावा ठोका है. सीएम योगी ने यूपी उपचुनाव के नतीजों को पीएम मोदी के नेतृत्व की जीत बताया है.
हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.