किसान आंदोलन यूपी की चुनावी राजनीति में कितना असरदार होगा?
BBC
क्या यूपी के चुनाव में किसान आंदोलन का बीजेपी को मिलेगा फायदा या उठाना पड़ेगा नुकसान?
मुज़फ़्फ़रनगर में रविवार को हुई किसान महापंचायत उन सवालों के जवाब में थी, जो दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के धरने की धार को कुंद मान रहे थे. महापंचायत में किसानों की मौजूदगी ने इसका जवाब देने की भरपूर कोशिश की और क़ामयाब भी रहे लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत के "वोट पर चोट" की अपील यूपी और उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव में कितना असर दिखाएगी, यह विषय राजनीतिक चर्चा के केंद्र में आ गया है. न सिर्फ़ किसान नेताओं के राजनीतिक बयानों बल्कि महापंचायत के तुरंत बाद बीजेपी के कई नेताओं की प्रतिक्रियाओं से भी यह साफ़ पता चलता है कि किसान आंदोलन के राजनीतिक निहितार्थ से बीजेपी भी अनजान नहीं है. यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने उसी दिन मीडिया से बातचीत में किसान आंदोलन में विपक्षी राजनीतिक दलों के शामिल होने का आरोप लगाते हुए इस आंदोलन का हश्र शाहीन बाग जैसा होने की भविष्यवाणी कर दी, तो मुज़फ़्फ़रनगर के ही बीजेपी सांसद डॉक्टर संजीव बालियान ने आत्मविश्वास के साथ कहा कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कोई भी महापंचायत बीजेपी को नहीं हरा सकती है.More Related News