कर्नाटक में आरक्षण को लेकर घिरे बीएस येदियुरप्पा, 4 मार्च तक सुनाना होगा फैसला
NDTV India
धरने पर बैठने से पहले बेंगलुरु के पैलेस ग्राउंड में पंचमसालियों ने एक बड़ी रैली की. इस बीच येदियुरप्पा काफी परेशान हैं, क्योंकि कहते हैं कि लिंगायतों की 100 के आसपास जो उप-जातियां हैं उनमें पंचमसाली सबसे बड़ी है और 55 से 60 फीसदी लिंगयतों की आबादी पंचमसालियों की है, यानी कृषक लिंगयतो की. पंचमसाली लिंगयत नेता मुर्गेश नीरानी ने कहा है कि, “देखिए यह लोग कृषक हैं. गांव में रहते हैं और आर्थिक तौर पर कमजोर हैं. ऐसे में ढाई दशकों से इनके लिए हम लोग पढ़ाई लिखाई और नौकरी में आरक्षण की मांग कर रहे हैं.”
बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में लिंगायतों का एक धड़ा 15 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर धरने पर बैठा है. इस मुहिम को जो लोग हवा दे रहे हैं वो मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के विरोधी हैं. जैसे मौजूदा बीजेपी विधायक बसवण्णा गौड़ पाटिल यतनाल. ऐसे में चर्चा गर्म है कि बढ़ती उम्र की वजह से कद्दावर लिंगयत नेता बीएस येदियुरप्पा का विकल्प तलाशा जा रहा है. लिंगायतों की पंचमसाली उपजाती के एक बड़े धर्म गुरु बसवा मृत्युंजय स्वामी ने कसम खाई है कि जब तक पंचमसालियों को 15 फीसदी आरक्षण शिक्षण संस्थानों और नौकरी में नहीं दी जाएगी, वो मठ वापस नहीं लौटेंगे. साथ ही ये भी कि येदियुरप्पा सरकार 4 मार्च तक अपना फैसला सुनाए.More Related News