करीब 90 फीसदी मुस्लिम आबादी वाला ये मुल्क है राम का भक्त, लगातार चलता रहता है रामायण बैले
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एक समय पर हिंदू-बहुल रह चुके इंडोनेशिया में अब 87 फीसदी से ज्यादा लोग मुस्लिम धर्म को मानते हैं. इसके बाद भी यहां बहुत से मंदिर बाकी हैं. ज्यादातर जगहों पर राम और शिव की पूजा होती है. यहां तक कि इस देश में 70 के दशक से रामायण पर आधारित नृत्य नाटक चल रहा है, जो और कहीं नहीं होता.
G20 की तैयारियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसियान (ASEAN) समिट के लिए इंडोनेशिया पहुंचे. वहां उन्होंने एक बार फिर वसुधैव कुटुंबकम की बात पर जोर दिया. पिछले साल पीएम ने इंडोनेशियाई दौरे के समय एक खास मंदिर के दर्शन किए थे. बाली स्थिति उलूवातु मंदिर काफी प्राचीन है और कहा जाता है कि मुस्लिम-बहुल देश इंडोनेशिया में हिंदू धर्म को बचाए रखने में इसका बड़ा रोल रहा.
इंडोनेशिया में हिंदू आबादी कितनी ये दुनिया का तीसरा सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश है. इसके बाद भी यहां हिंदू धर्म के मानने वाले बने हुए हैं, बल्कि बढ़े ही हैं. साल 2018 की जनगणना के मुताबिक देश में साढ़े 46 लाख से ज्यादा हिंदू रहते हैं, जबकि 2010 में ये करीब 40 लाख ही थे.
कितने हिंदू मंदिर हैं इंडोनेशिया की हिंदू आबादी पर दक्षिण का असर दिखता है. खासकर यहां के मंदिर उसी तर्ज पर बने हुए हैं. माना जाता है कि छोटे-बडे़ सब मिलाकर हजार से लेकर डेढ़ हजार तक टेंपल्स यहां बने हुए हैं. इनमें बाली और सुमात्रा में सबसे ज्यादा मंदिर हैं. बाली में लगभग हर बड़ी हिंदू कॉलोनी में एक छोटा मंदिर है, जिसे संगाह कहते हैं.
क्या इंडोनेशिया पहले भारत का हिस्सा था अक्सर ये बात होती है कि हमारे साथ एक समुद्री सीमा साझा करने वाले इस देश तक हिंदू पहुंचे कैसे, जबकि यहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है. इसके पीछे इतिहासकार अलग-अलग बातें कहते हैं. सबसे पक्की दलील ये दी जाती है कि इंडोनेशिया पर एक समय में हिंदू राजा का ही शासन था. चोल साम्राज्य के राजाओं ने न केवल इंडोनेशिया, बल्कि श्रीलंका, मलेशिया और मालदीव पर भी शासन किया. चोल राजवंश के सबसे ताकतवर शासक राजराज ने सबसे लंबे समय तक यहां राज किया.
फिर ये देश मुस्लिम-बहुल कैसे बन गया इसकी शुरुआत 8वीं सदी से हुई. अरब मुस्लिम व्यापारी मसाले खरीदने के लिए इंडोनेशिया आने लगे थे. धीरे-धीरे निचले तबके के लोग धर्म बदलने लगे, लेकिन 13वीं सदी तक ये सब खुलकर दिखाई नहीं दिया था. इसी दौरान हिंदू एलीट क्लास भी मजहब बदलने लगा. 13वीं सदी में चीनी सैलानी मार्को पोलो ने जब इस देश की यात्रा की तो लौटकर लिखा कि देश में कई शहर के शहर मुसलमान धर्म अपना रहे हैं. इसके बाद ही बड़े स्तर पर बदलाव दिखा.
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