उत्तराखंड: गैरसैंण में प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज, छोड़ी गई पानी की बौछार, पथराव
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उत्तराखंड के चमोली जिले में एक सड़क को चौड़ा करने के लिए 87 दिन से जनांदोलन चल रहा है. इसी मांग को लेकर ग्रामीणों को राजधानी गैरसैंण में बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करने की कोशिश करना महंगा पड़ गया. रोकने के बाद भी जब ये लोग आगे बढ़े, तो पुलिस को इन पर लाठियां चलानी पड़ीं.
उत्तराखंड के चमोली जिले में एक सड़क को चौड़ा करने के लिए पिछले 87 दिन से लोग आंदोलन कर रहे हैं. इसी मांग को लेकर ग्रामीणों ने सोमवार को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करने की कोशिश की. जब ग्रामीण बड़ी संख्या में गैरसैंण पहुंचे, तो पुलिस ने उनको रास्ते में रोक दिया. इस पर प्रदर्शनकारियों ने आगे बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस के साथ उनकी झड़प शुरू हो गई. हालत बेकाबू होते देख पुलिस ने लाठी चार्ज किया, साथ ही पानी की तेज बौछार का भी सहारा लिया. इस पर प्रदर्शनकारियों का गुस्सा बढ़ गया और उन्होंने पत्थर और पानी की बोतलें फेंकना शुरू कर दिया. प्रदर्शनकारी ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प चमोली के गैरसैंण में विधानसभा के बजट सत्र का सोमवार को पहला दिन था. बता दें कि ग्रामीणों ने पहले से ही ऐलान कर रखा था कि अगर सड़क को चौड़ा करने का काम शुरू नहीं हुआ तो वे विधानसभा का घेराव करेंगे. इसी के तहत चमोली के नंदप्रयाग विकासखंड के ग्रामीणों ने बड़ी संख्या में विधानसभा परिसर के गेट पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान रह रह कर आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच जोर आजमाइश होती रही. ग्रामीणों ने आगे बढ़ने की कोशिश की, तो पुलिस को स्थिति पर काबू पाने के लिए लाठियां चलानी पड़ीं. इससे ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ गया. प्रदर्शनकारियों में महिलाएं भी शमिल थीं. झड़प में कई ग्रामीण घायल हुए. पुलिस के कई जवानों को भी हल्की चोटें आईं हैं.सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
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