इस काम में अमेरिका खुलकर दे रहा है भारत का साथ, चिढ़कर चीन ने लगाया बैन, लेकिन कुछ नहीं बिगड़ेगा!
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इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री Rajeev Chandrasekhar ने कहा कि पूरी दुनिया नए भारत के साथ साझेदारी कर रही है. उन्होंने कहा कि चीन के गैलियम और जर्मेनियम (Gallium and Germanium) के निर्यात पर नियंत्रण के फैसले से भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
भारत तेजी से सेमीकंडक्टर (Semiconductor) निर्माण की दिशा में आगे की ओर बढ़ता जा रहा है. दुनिया के तमाम देश इसकी सराहना कर रहे हैं. लेकिन चीन (China) को ये शायद रास नहीं आ रहा है. इसका ताजा उदाहरण है कि चीन ने सेमीकंडक्टर बनाने में अहम रोल निभाने वाले दो तत्वों गैलियम और जर्मेनियम (Gallium-Germanium) के निर्यात पर अंकुश लगा दिया है. हालांकि, इसे लेकर केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) ने बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा है कि चीन द्वारा लगाए गए इस प्रतिबंध का भारत पर कोई असर नहीं होगा.
पूरी दुनिया नए भारत के साथ आजतक के सहयोगी चैनल बिजनेस टुडे के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) ने कहा कि पूरी दुनिया नए भारत के साथ साझेदारी कर रही है, क्योंकि वह अधिक लचीली सप्लाई चेन (Supply Chain) बनाना चाहता है. उन्होंने कहा कि चीन के गैलियम और जर्मेनियम के निर्यात पर नियंत्रण के फैसले से भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग देश और दुनिया के लिए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला भागीदार बनने के भारत के लक्ष्य को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण है. इस बात का भरोसा दिलाया कि आपूर्ति का कोई दुरुपयोग नहीं होगा.
भारत-अमेरिका के बीच साझेदारी का जिक्र राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (iCET) पर भारत-अमेरिका की पहल यह सुनिश्चित करती है कि सप्लाई चेन पर ऐसा कोई नियंत्रण या दुरुपयोग न हो. इसमें मैटेरियल्स भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत-अमेरिका के बीच हुई साझेदारी के साथ-साथ समान विचारधारा वाले देशों के साथ भारत का गठजोड़ आईटी और ग्लोबल सप्लाई चेन के भविष्य को परिभाषित करेगा. गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल मई 2022 में iCET की घोषणा की थी.
चीन ने हाल ही में लिया है ये फैसला China ने हाल ही में सेमीकंडक्टर के उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण समझे जाने वाले दो तत्वों- गैलियम और जर्मेनियम के निर्यात (Gallium-Germanium Export) पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. इससे ग्लोबल मार्केट को एक बड़ा झटका लगा है, क्योंकि चीन दुर्लभ खनिजों का उत्पादन करने वाला प्रमुख देश है. भले ही चीन ने ये कदम पश्चिमी देशों को जवाब देने के लिए उठाया हो, लेकिन इससे भारत में चिप निर्माण की दिशा में चल रहे प्रयासों के प्रभावित होने की संभावना भी जताई जा रही थी. जिसे लेकर केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने साफ कर दिया है कि इस प्रतिबंध का असर भारत पर नहीं होगा.
गैलियम और जर्मेनियम आखिर क्या हैं? गैलियम और जर्मेनियम प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली धातुएं हैं, लेकिन ये रिफाइनरी में अन्य धातुओं के को-प्रोडक्ट के तौर पर तैयार होती हैं. गैलियम का खासतौर पर इस्तेमाल सेमीकंडक्टर, एकीकृत सर्किट और एलईडी बनाने में किया जाता है. साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, थर्मामीटर, बैरोमीटर सेंसर, और फार्मास्युटिकल्स में भी इनका यूज होता है. वहीं जर्मेनियम आमतौर पर जस्ता और सल्फाइड अयस्कों के सह-उत्पाद के तौर पर बनता है, इसका इस्तेमाल ऑप्टिकल फाइबर, उपग्रह, सोलर सेल के अलावा कैमरा, माइक्रोस्कोप लेंस, इन्फ्रारेड नाइट विजन प्रणाली में होता है.
बीजिंग का कहना है कि चीन ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन दो धातुओं के निर्यात को प्रतिबंधित करने का फैसला किया है. अब इन दोनों धातुओं को चीन से बाहर ले जाने के लिए निर्यातकों को लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा और विदेशी खरीदारों और उनके साथ हुए सौदे का पूरा विवरण चीन की सरकार को देना होगा.
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