इमरजेंसी में जब जगमोहन के बुलडोज़रों ने दिल्ली के तुर्कमान गेट पर बरपाया क़हर - विवेचना
BBC
इमरजेंसी के दौरान दिल्ली के तुर्कमान गेट में डीडीए के बुलडोज़रों ने सैकड़ों घरों को गिरा दिया. जब लोगों ने इसका विरोध किया तो पुलिस ने फ़ायरिंग की जिसमें कई लोग मारे गए. क्या था पूरा मामला बता रहे हैं रेहान फ़ज़ल विवेचना में.
13 अप्रैल, 1976 की सुबह आसफ़ अली रोड पर एक पुराना ज़ंग लगा बुलडोज़र तुर्कमान गेट की तरफ़ बढ़ रहा था. उसके पीछे धीमी रफ़्तार से चलता हुआ मज़दूरों से भरा एक ट्रक चल रहा था. उसके ठीक पीछे एक जीप थी जिसमें डीडीए के तहसीलदार कश्मीरी लाल बैठे हुए थे. उनको निर्देश थे, "कोई ऐसा आभास मत देना जिससे लोग डर जाएं. काम को चरणों में बाँट कर करना." ये पहला मौक़ा नहीं था जब कश्मीरी लाल विध्वंस दस्ता लेकर तुर्कमान गेट जा रहे थे. इससे पहले वह दो बार और गए थे और दोनों बार पीटकर भगा दिए गए थे. उनको अभी तक याद था कि किस तरह एक डेयरी के मालिक ने एक बड़ी लाठी लेकर अकेले ही पुलिसवालों को पीटते हुए भगा दिया था. लेकिन वो इमरजेंसी से पहले के दिन थे. जैसे ही डीडीए का दस्ता तुर्कमान गेट ट्राँज़िट कैंप के ठीक सामने जाकर रुका, वहाँ रहने वाले लोगों ने उसे घेर लिया. कश्मीरी लाल ने भीड़ से कहा, "कोई ख़ास बात नहीं हैं. हम ट्राँज़िट कैंप में रहने वाले लोगों को बेहतर जगह रंजीत नगर ले जाने के लिए आए हैं. मैं आश्वासन देता हूँ कि आपके लिए कोई समस्या नहीं होगी."More Related News