इंसान की लाशों से बीमारियों का इलाज करने की वह प्रथा
BBC
''साल 1604 में हम विलियम शेक्सपियर के चरित्र ओथेलो को उसके रूमाल की प्रशंसा करते हुए देखते हैं, क्योंकि उसका रेशम 'एक कुंवारी महिला के संरक्षित दिल से बने तरल से रंगा गया था."
अभी-अभी एक व्यक्ति को सज़ा-ए-मौत हुई है. कई मरीज़ उस लाश के नीचे इकट्ठा होने की कोशिश कर रहे हैं, जो अब भी तड़प रही है. जिन ख़ुशनसीब लोगों को अपने प्याले भरने की आवाज़ आती है, वे तुरंत लाश के गर्म ख़ून को एक ही सांस में पी जाते हैं. यह आधुनिक डेनमार्क के शुरुआती दौर की बात है. वैसे तो यह उदाहरण बहुत ही गंभीर है, लेकिन उस समय यूरोप के शीर्ष चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, मिर्गी का इलाज ख़ून में था.More Related News