आनंद सिंह 15 साल बाद जेल से रिहा, घर जाने की थी तैयारी लेकिन एक फोन आया और पहुंच गए पटना
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आनंद मोहन सिंह जेल से बाहर आ गए हैं. वह गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में जेल में बंद थे. उन्हें उम्रकैद की सजा हुई थी. इस बीच बिहार सरकार ने जेल मॉड्यूल में संशोधन कर दिया, जिसके बाद वह जेल से बाहर आ गए. उनके समर्थकों ने स्वागत की भव्य तैयारी की थी लेकिन वह घर न जाने के बजाए सीधे पटना पहुंच गए. अब इसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.
गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह आखिरकार गुरुवार को 15 साल बाद जेल से आजाद हो गए. उनके जेल से बाहर निकलने की भव्य तैयारी की गई. उनके समर्थकों ने रिहाई से पहले ही मिठाइयां बांटनी शुरू कर दी. बाहुबली के स्वागत में सड़कें पर नारेबाजी होती रही. आनंद के स्वागत में सहरसा की सड़कों पर बाइक और कारों का करीब 500 गाड़ियों का काफिला उतर आया, रास्ता जाम हो गया. उनके गांव में 30 हजार लोगों के लिए भोज की व्यवस्था की गई.
कार्यक्रम तय हुआ कि आनंद सहरसा जेल से छूटने के बाद सीधे अपने गांव पंचगछिया जाएंगे. इस दौरान उनके शक्ति प्रदर्शन की तैयारी थी लेकिन उन्होंने उस समय सबको चौंका दिया जब वह घर न जाकर सीधे पटना पहुंच गए. अब बिहार की सियासी में इसके बड़े मायने निकाले जा रहे हैं. चर्चा हो रही है कि आखिर आनंद मोहन पटना क्यों गए? दबी जुबान से बताया जा रहा है कि रिहाई से पहले आनंद मोहन को पटना से जेडीयू के एक बड़े नेता ने फोन किया था. उन्होंने कहा कि रिहाई का उत्सव ना मनाएं और शांति से सब कुछ होने दें.
हालांकि आनंद की रिहाई को गलत बताते नीतीश सरकार पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं. इस पर बिहार सरकार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने सरकार का पक्ष रखते हुए सफाई दी है. उन्होंने कहा कि आनंद मोहन को कोई विशेष छूट नहीं दी गई है. उनकी रिहाई भी जेल नियमों के मुताबिक ही हुई है.
सरकार के इस फैसले से आनंद को मिला फायदा
बिहार सरकार ने 10 अप्रैल की कारागार नियमावली, 2012 के नियम 481(i)(क) में संशोधन कर दिया. इसके तहत 'ड्यूटी पर तैनात लोक सेवक की हत्या' को अब अपवाद की श्रेणी से हटा दिया. पुराने नियम के तहत सरकारी सेवक की हत्या करने वालों को पूरी सजा से पहले रिहाई की छूट का कोई प्रावधान नहीं था लेकिन नियम में संशोधन के बाद ऐसे अपराधियों के लिए भी अब छूट मिल सकेगी. इस नए नियम के तहत ही बिहार सरकार ने पिछले दिनों आनंद मोहन समेत 27 कैदियों की रिहाई की अधिसूचना जारी की थी.
वहीं आनंद मोहन सिंह के जेल से बाहर आने से पहले ही उनकी रिहाई का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है. सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका पटना हाई कोर्ट में दायर की गई है. याचिका में मांग की गई है कि वह सरकार की तरफ से जेल मैनुअल में किए गए संशोधन पर रोक लगाए. इस बदलाव को याचिकाकर्ता ने गैरकानूनी बताया है. याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार के इस फैसले से सरकारी सेवकों का मनोबल गिरेगा.
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