आंबेडकर के सपनों का लोकतंत्र मोदी के कार्यकाल में कहां हैं?
BBC
14 अप्रैल भारतीय संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की 130वीं जयंती है.
आंबेडकर को संविधान का जनक कहा जाता है क्योंकि वे संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे. ये भी कहा जाता है कि संविधान के चलते ही भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था काफ़ी मज़बूत बनी हुई है. हालांकि बीच में आपातकाल के 18 महीनों का दौर भी देश में रहा है, अगर इसको अपवाद मानें तो देश में लोकतंत्र पर कभी पड़ोसी देशों की तरह ख़तरा नहीं दिखा. लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार के लगातार दूसरे कार्यकाल में स्थिति बदलती दिख रही है. विदेश ही नहीं देश के अंदर भी मोदी सरकार पर संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को किनारे करने का आरोप लग रहा है. भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर सवाल पश्चिमी देशों की संस्थाओं ने भी उठाए हैं. वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री के समर्थकों के बीच ये धारणा बन रही है कि पश्चिमी देशों के लोकतंत्र पर भारत भी सालाना रिपोर्ट जारी करे और उन्हें यह पैग़ाम दे कि भारत के लोकतंत्र पर भाषण देने से पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखें. अमेरिका में काली नस्ल के लोगों पर आए दिन पुलिस और प्रशासन द्वारा अत्याचार और दूसरे पश्चिमी देशों में नस्लीय भेदभाव में इज़ाफ़ा, भारत को ऐसी रिपोर्ट जारी करके वापस जवाब देने का मौक़ा भी दे रहे हैं. पिछले दिनों अमेरिका की संस्था फ़्रीडम हाउस ने अपने वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के अंतर्गत 'भारतीय लोकतंत्र अब पूर्ण रूप से आज़ाद के बजाए केवल आंशिक रूप से आज़ाद रह गया है और यह अधिनायकवाद की ओर बढ़ रहा है."More Related News