असहमति दबाने के लिए आतंकवाद निरोधी क़ानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए: जस्टिस चंद्रचूड़
The Wire
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक सम्मेलन में कहा कि भारत का उच्चतम न्यायालय बहुसंख्यकवाद निरोधी संस्था की भूमिका निभाता है और सामाजिक, आर्थिक रूप से अल्पसंख्यक लोगों के अधिकारों की रक्षा करना शीर्ष अदालत का कर्तव्य है.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने चुनौतीपूर्ण समय में मौलिक अधिकारों की रक्षा में शीर्ष न्यायालय की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि आतंकवाद निरोधी कानून समेत अपराध कानूनों का दुरुपयोग असहमति को दबाने या नागरिकों के उत्पीड़न के लिए नहीं होना चाहिए. अमेरिकन बार एसोसिएशन, सोसाइटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स और चार्टर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ आर्बिट्रेटर्स द्वारा आयोजित सम्मेलन में जस्टिस चंद्रचूड़ ने सोमवार को यह बात कही. सम्मेलन का विषय ‘चुनौतीपूर्ण समय में मौलिक अधिकारों की रक्षा में उच्चतम न्यायालय की भूमिका’ था. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत का उच्चतम न्यायालय बहुसंख्यकवाद निरोधी संस्था की भूमिका निभाता है और सामाजिक, आर्थिक रूप से अल्पसंख्यक लोगों के अधिकारों की रक्षा करना शीर्ष अदालत का कर्तव्य है. उन्होंने आगे कहा, ‘इस काम के लिए उच्चतम न्यायालय को एक सतर्क प्रहरी की भूमिका भी निभानी होती है और संवैधानिक अंत:करण की आवाज को सुनना होता है, यही भूमिका न्यायालय को 21वीं सदी की चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए प्रेरित करती है जिसमें वैश्विक महामारी से लेकर बढ़ती असहिष्णुता जैसी चुनौती शामिल हैं जो दुनियाभर में देखने को मिल रही हैं.’More Related News