अमित शाह के जम्मू-कश्मीर दौरे से क्या कुछ बदलेगा?
BBC
तनाव और पुंछ में जारी एनकाउंटर के बीच अमित शाह के कश्मीर दौरे से क्या निकलेगा, समझिए इस रिपोर्ट से,
"हम किसी लैब के चूहों की तरह हैं, जिन्हें विभिन्न सूचनाओं और परिदृश्यों का डोज़ दिया जा रहा है और हमें हर स्थिति के लिए ख़ुद को ढालना होता है."
ये हैं श्रीनगर में बिज़नेसमैन इशफ़ाक मीर.
इशफ़ाक ने साल 2011 में ई-कॉमर्स साइट कश्मीर बॉक्स की स्थापना की थी. उनका सपना था अमेज़न की तर्ज़ पर देश और दुनिया में कश्मीर के हैंडीक्राफ़्ट, कालीन उद्योग को विशेष जगह दिलवाना, स्थानीय ब्रैंड्स को आगे बढ़ाना.
लेकिन घाटी में जारी हिंसा, साल 2014 की बाढ़, 2016 में चरममंथी बुरहान वानी की मौत और साल 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद फैली अशांति, इंटरनेट के लंबे वक़्त तक बंद रहने की वजह से इशफ़ाक को कश्मीर बॉक्स का स्वरूप सीमित करना पड़ा.
इशफ़ाक कहते हैं, "हमारा स्टाफ़ 100 से घटकर आठ रह गया है. (लेकिन) हमारी कोशिश है कि हमने जो शुरुआत की थी, उसे ज़िंदा रखें."