अखिल गोगोई बरी: UAPA का झूठा केस, ''जेल में यातना'', लेकिन झुके नहीं
The Quint
Akhil Gogoi released: अखिल गोगोई बरी: UAPA का झूठा केस, ''जेल में यातना'', लेकिन झुके नहीं. NIA कोर्ट से रिहा होने के बाद कहा-सच हमेशा जीतता है. akhil gogoi uapa case cleared by nia court anti caa protest assam
गुरुवार, 1 जून को राष्ट्रीय जांच एजेंसी न्यायालय (NIA Court) ने असम के एक्टिविस्ट और सिबसागर से विधायक अखिल गोगोई (Akhil Gogoi) को नागरिकता संशोधन कानून(CAA) विरोधी हिंसा के मामले में उनपर लगे अंतिम आरोप से भी बरी कर दिया.गुवाहाटी सेंट्रल जेल को रिहाई का आदेश दिये जाने के बाद गोगोई गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से बाहर आ गए. वहां उनका कई बीमारियों के लिए इलाज चल रहा था. इससे पहले 22 जून को कोर्ट ने गोगोई को एक अन्य मामले में आरोपमुक्त किया था. 1 जुलाई को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए उन्हें दोनों मामले में बरी कर दिया.आवाज उठाने की कीमत: गोगोई पर UAPA के दो मामले दर्जअखिल गोगोई को पहली बार 12 दिसंबर 2019 को जोरहाट में एक CAA विरोधी रैली के बाद गिरफ्तार किया गया था. उनका केस 2 दिन बाद NIA को स्थानांतरित कर दिया गया और उन पर देशद्रोह के आरोप में और गैरकानूनी गतिविधि( रोकथाम) अधिनियम, UAPA के प्रावधानों के तहत कथित रूप से प्रतिबंधित CPI(माओवादी) के एक भूमिगत कार्यकर्ता होने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.ADVERTISEMENTCAA विरोधी आंदोलन में हिंसा भड़काने के आरोप में सिबसागर, डिब्रूगढ़ , गौरीसागर, तेओक, जोरहाट समेत कई शहरों के पुलिस स्टेशन में गोगोई के खिलाफ FIR दर्ज किया गया था, जिनमें से 2,चांदमारी और चाबुआ में दर्ज मामले को NIA ने अपने पास मंगा लिया.गोगोई को पिछले महीने चाबुआ मामले सहित सभी मामलों में बरी कर दिया गया था. हालांकि उनके वकीलों के अनुसार चांदमारी मामले की जमानत याचिका को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने जनवरी में और सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में खारिज कर दिया था.जून में चाबुआ मामले में बरी होने के बाद NIA ने चांदमारी मामले में एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर कर दिया.गुरुवार के अपने 120 पन्नों के फैसले में कोर्ट ने गोगोई को सभी आरोपों में बरी कर दिया है और माना कि दायर चार्जशीट में गवाह योग्य नहीं हैं.ADVERTISEMENTअखिल गोगोई : जमीन-जंगल की लड़ाई, जेल और ऐतिहासिक जीतनागरिकता संशोधन कानून के विरोधी एक्टिविस्ट होने से पहले अखिल गोगोई की पहचान छात्र नेता और जमीन-जंगल की लड़ाई लड़ने वाले एक्टिविस्ट के रूप में भी थी. यहां तक की जेल जाने का उनका अनुभव भी यह पहली दफा नहीं था. इससे पहले वह कांग्रेस सरकार के दौरान भी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. गोगोई असम में बांध और जमीन के मुद्दों प...More Related News